Wednesday, February 13, 2019

मी टू


क्योंकि उनके पास कहने  साधन थे 
और कहने के लिए  ज़रूरी समान भी 
इसलिए उन्होंने अपनी सहूलियत से चलाया 
मी टू अभियान 
शारीरिक शोषण की गाथा 
या फिर एक चार्म भर 
पता नहीं 
पर पूरे देश का ध्यान
भूख , और बलात्कार से हट गया जैसे 
और सब जगह चर्चाएँ मी टू की 
कुछ घरों के 
शीशों  पर काले रंग जो चढ़े थे उतर गये 
बहुत से नकाबों की परत से 
एक नकाब और उतर गया 
जबकि इस मूवमेंट की चकाचौंध से दूर 
किसी जंगल में 
किसी देहात में 
या शहर के बीचों बीच गलियों में 
कुछ देह 
कुछ सपने 
मसल दिए जाते हैं रोजाना 
कुछ विशेष किस्म की प्रजातियों द्वारा 
और रोप दी जाती है 
उनके देह में अजीब सी गंध वाली आग 
जिसमे जलकर भस्म हो जाते हैं वो देह 
और उन देहों के जलने की बू 
खत्म हो जाती है 
एक हवा के झोंके के साथ 
और शहर से गाँव 
सब व्यस्त हो जाते है 
एक वाहियात और वल्गर किस्म की
चर्चाओं में , सेमिनारों में 
जिनका शीर्षक होता है 
मी टू मूवमेंट 
जिसमे भद्दे और थर्ड क्लास के जोक्स 
और द्वीअर्थी संवादों के बीच 
एक स्त्री की पवित्रता को बचाने के 
मापदंडों पर चर्चा होती है 
और एक सेक्सी से महिला उद्घोषक से 
मोटी तोंद वाले
मुख्य अतिथि की नजरें हट नही रही 








Tuesday, February 12, 2019

अदालतें

अदालतें 

कुछ अदालतें ऐसी भी होती है 
जहाँ आप पकड़े जाते हो चोरी के जुर्म में 
और सज़ा सुनाई जाती है खून के जुर्म की 
असल मजा तो तब होता है 
जब आपका वकील 
सारे गवाह 
आपके खिलाफ ले आता है 
और  सजा के तौर पर

रिश्तों के बाज़ार में 
आप नंगे घुमाए जाते हो 
हर तरफ फुसफुसाहट होती है 
और आप धरती फटने का इंतज़ार करते हो 
क्योंकि आपने सीता की स्टोरी सुन रखी है
पर 
घरती नहीं फटती 
और आप पर 
असहनशील और चरित्रहीन  होने  का दोष भी लग जाता है