एक शहर
जिसके हृदय में उगा है
बारूद से भरा एक पेड़
जिसके पत्ते फिर भी हरे हैं
इस शाकाहारी पेड़ को सींचता है
शहर का तमाम रक्त
इसकी शाखाओं पर बैठे पक्षी
गाते हैं गीत
हवाओं में तैरते बारूद के गंध की
इसकी टहनियों में झूलते बच्चे
खामोश दिनों की तलाश में हैं
इस शहर का हर शक्स
इस पेड़ पर बांधता है
मन्नतों को धागा
जबकि पेड़ तरस रहा है
एक बूंद पानी के लिए