Tuesday, March 7, 2017

बारूद के शहर में उगा एक पेड़



एक शहर

जिसके हृदय में उगा है

बारूद से भरा एक पेड़

जिसके पत्ते फिर भी हरे हैं 


इस शाकाहारी पेड़ को सींचता  है

शहर का तमाम रक्त

इसकी शाखाओं पर बैठे पक्षी

गाते हैं गीत

हवाओं में तैरते बारूद के गंध की

इसकी  टहनियों में झूलते बच्चे

खामोश  दिनों की तलाश में हैं

इस शहर का हर शक्स

इस पेड़ पर बांधता है

मन्नतों को धागा

जबकि पेड़ तरस रहा है

एक बूंद पानी के लिए