पहला कदम ब्लॉग जगत में ,,,
मैं
जितनी बढती जा रही हूँ ,
उतनी ही छोटी होती जा रही हूँ
उलझ गयी हूँ
धागे के उस गोले जैसे
जिसे सुलझाते सुलझाते
ना जाने कितनी गांठें पड़ जाती हैं
मेरा गाँव
पहाड़ों के आँचल में बसा
सुंदर गाँव
पास बहती नदी /बहता नाला
उपजाऊ भूमि
आधुनिक किसान
आधुनिक खेती
बूढ़े विचार
बूढा गाँव
हर पल बदलते लोगों कि भीड़ में
अकेला बूढा होता मेरा गाँव
पहाड़
सुबह से शाम तक
मेरे साथ रहता है
एक पहाड़
पत्थर का बना कहते हैं लोग
साक्षी है मेरे हर सुख का दुख का
मैने इसे देखा है हँसते गाते हुए
मैने इसे देखा है उदास और रोते हुए कभी
शायद जीवन उस पत्थर में भी था
स्वागत है, सुनीता !!
ReplyDeleteताज़ा कविताएँ,
नए खिले फूलों सीं,
बहुत खुशी हो रही है,
आपकी रचनाएँ देखकर,
सादर,
मेरे पास कोई भी ब्लॉग नहीं पर मेरे सब के सब प्यारे दोस्त के ब्लॉग इतने अच्छे है की में उनको आपना ही मानता हूँ ...ये भी मेरा है ...नाम से आप का है ...जो जो कविता या नोट दोस्त अपने बोलग पर डालता है वो सब मेरी भी है ...हाँ आधिकार उस दोस्त का हो सकता है की वो उससे मुझे प्यार करने दे या नहीं पर ....में ...आपने दोस्तों से हमेंशा ही प्यार पाता रहा हूँ सो दुसरे शब्द मुझे पता है नहीं की क्या होतें है ...Nirmal Paneri
ReplyDeleteधन्यवाद विनय जी ,,,
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग में आये वा आपने अपने विचार रखे ,,,
आप दोस्तों का साथ बना रहे इसी कामना के साथ प्रस्तुत हुई हूँ
धन्यवाद
धन्यवाद निर्मल जी ,,, आपको यहाँ देख कर खुशी हुई :)))
ReplyDeleteयह ब्लॉग सब दोस्तों का है :)))
sundar shabdchitra!
ReplyDeletejeevan ko yun hi chitrit karti rahein rachnayein!!!
shubhkamnayein!!!
स्वागत. अच्छी कविताएं हैं . खूब लिखना, शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteसुनीता जीवन से बुनी कविताएँ ... हर सूत प्यारा ..
ReplyDeleteधन्यवाद # अजेय काका कुछ होंसला मिला
ReplyDelete# अपर्णा दी ,, धन्यवाद
वाह .......""मै""" मेरागावं """" और """पहाड़ """....तीनो कवितों मैं आप ने खुद का अच्छा लेखन का परिचिय दिया है शुरुवाती ...अच्छी है ....पर जीवन मैं गांठे को खोलने का काम स्याम का ही है ...किसी को बीच मैं लाने से शायद और उलझन हो ...पहला ...............और जीवन मैं गाव तो अब आधुनिक का स्वाद चख चुके .....अब हरा काम ...उस स्वाद को बे स्वाद बनान है ....इस मैं हम कहाँ तक आपना सहयोग दे पायें ये गर्भ मैं जी पर आप का दुःख इस के पार्टी एकच लगा ...समर्पण भी ....................हाँ इस पहाड़ मैं मुझे जीवन का सच्च दिखाई दिया है ....ये आप की सब से बेहतरीन कविता जी ...सब और से इसी पहाड़ मैं जीवन जी ..............आप को शुभ कामनाएं !
ReplyDeleteतीनो रचनाएँ विचारोत्तेजक हैं ! पढ़ना अच्छा लगा |
ReplyDeleteसुनीता जी सुन्दर रचना है आप की ,
ReplyDeleteआप ऐसे ही लिखतीं रहें
बहुत बहुत शुभकामना
bahut sunder likhi hain aap.
ReplyDeleteall poems are good but i like PAHAR poem very much...good work...
ReplyDeleteCongrats Suni Ji,
ReplyDeleteGood work..all of them are too good..keep going on..wish you lots of good luck.
God Bless You.
:)
Regards
Sur