Wednesday, September 28, 2016

दीप्ति नवल आर्ट स्टूडियो

कला जीवन का आधार है |जीवन की हर सुंदर , बद्सूरत दृश्य व् अनुभव को केनवास में उतारना , या शब्दों में उन्हें पिरोना आसान काम नहीं है पर फिर भी इस सुंदर पृथ्वी में  कुछ आत्माएं ऐसी हैं जिनके भीतर कला हर रूप में मौजूद रहती है | ऐसे ही  एक कलाकार है " दीप्ति नवल" | मैंने बचपन में उनकी फिल्म "साथ साथ "और "चश्मे बद्दूर " देखी थी | दूरदर्शन  में  "थोडा सा आसमान " देखने के बाद ऐसा लगता था कि काश ! इनसे मिलने का अवसर मिलता तो खूब सारे प्रश्न पूछने थे | कहते हैं अगर हमारी चाहत में खुदा की दुआ शामिल हो तो चाहत पूरी हो ही जाती है | मौका मेरे बेटे के स्कूल के वार्षिक उत्सव का था | जिसमे  दीप्ति जी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की | मुझे ऐसा लगा कि मुझे मेरा छोटा सा आसमान मिल गया | अगले दिन स्कुल प्रिंसिपल एवं  प्रशासिका श्रीमती ललिता कंवर के बुलावे पर मैं दीप्ति नवल के आर्ट स्टूडियो के उद्घाटन समारोह में भाग लेने जा रही थी | कुछ बातें अचानक घटित होती है बिलकुल अचानक पर शायद हमारी तैयारी पहले की ही होती है | जब घर से  चली तो मेरे मन में प्रश्न था कि क्या होगा वहां जा कर | खैर !
 जब  मैं वहां पहुंची तो आर्ट गेलरी का उद्घाटन हो चुका था | कुल्लू के उपायुक्त महोदय , मनाली की एस डी एम् साहिबा और  दीप्ती नवल  के साथ मुझे अपने दोस्त प्रेम ठाकुर और कल्पना ठाकुर भी दिखाई दिए | भीतर जो नर्वसनेस थी वो कम हो गयी | उसके बाद कुछ देर तक स्थानीय गतिविधियों पर चर्चा हुई | फिर कल्पना मुझे  घर के अंदर ले गयी जो अब  दीप्ति नवल का आर्ट गेलरी या स्टूडियो बन चुका था | एक कमरे में  दीप्ति नवल की बायोग्राफीज ही   है जिसमे उनके जीवन के समस्त पहलूओं से सम्बन्धित जानकारी है






                  बायोग्राफी









उनके द्वारा अभिनीत फिल्मों का स्प्मूर्ण संग्रह आपको इस आर्ट गेलेरी में मिलेगा 



















दीप्ति  नवल की पेंटिंग जो उन्होंने स्मिता पाटिल की मृत्यु के पश्चात बनाई
                                                                                  दीप्ति नवल की  पेंटिंगज़  
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                      





  दीप्ति नवल के कला की दुनिया से परिचित होना उनके भीतर के राग को सुनने जैसा था | एक स्त्री अपने भीतर कितना कुछ समेटे  रखती है और वो भी  दीप्ति जैसी ट्रेवलर जो हिमालय में न जाने कितने बर्षों से घूमती आ रही है और एक एक पहाड़ की खमोशी की अपनी ख़ामोशी से मिला कर रचनाएँ रचती दीप्ती का यह कहना कि मुझे यहाँ के काले पहाड़ों से प्रेम है उसकी हिमालय के प्रति लगाव को दर्शाता है| उनके गेलरी से रूबरू होने के बाद    मुझे उनसे  
बात करने का मौका मिला | अपने परिचय के बाद उनके पंटिंगज की दुनिया पर चर्चा हुई | उनकी पेंटिंग  जिसमे एक नन को उन्होंने गर्भवती स्त्री के रूप में सेल्फ पोट्रेट किया है उस पर काफी देर चर्चा हुई | जिसके बारे में उन्होने यह बताया कि यह पेंटिंग मनुष्य के विरोधाभासी जीवन को दर्शाता है | जीवन एक यात्रा है और इसमें नए  सृजन होते रहने चाहिए ताकि हम पुनः अपने जीवन को एक अबोध बालक की तरह जी सके सृजित कर सके | मेरे पूछने पर कि आपके दिमाग में यह बात कब आयी कि आप को मनाली के आस पास आर्ट गेलरी या स्टूडियो खोलना चाहिए तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि पहले तो यही रहता था की बस मनाली जाना है | यह एक यायावर के ही शब्द हो सकते है | 

दीप्ती नवल जैसी कलाकार के आर्ट गेलरी का कुल्लू - मनाली में खुलना यहाँ की साहित्यिक चेतना को नयी उमंग देगा और यहाँ  के लोगों के लिए बहुत अच्छी खबर है विश्व प्रसिद्ध कलाकार यहाँ की मिटटी से जुड़े हुए है |

यह आर्ट गेलरी कुल्लू मनाली रोड पर विश्व प्रसिद्ध रोरिक आर्ट गेलेरी से महज़ चार या पांच किलोमीटर की दूरी पर हरिपुर नामक गाँव में स्थापित हुआ है | 


दीप्ती नवल न केवल एक अच्छी कलाकार है बल्कि एक बेहतर इंसान भी है | हलांकि यह कम्बीनेशन बहुत कम में पाया जाता है | उनकी खामोशी उनकी कला में रंग बन कर उतरती है |




 



Close Interaction 





































इस मुलाकात को सम्भव बनाने में सहयोगी रहे श्री मति ललिता कंवर , कल्पना ठाकुर और प्रेम ठाकुर का  थ तहे दिल से शुक्रिया |

इस यात्रा के सहयात्री रहे पूनम पॉल , और शैली भोपल का शुक्रिया | साथ ही प्यारे से चैतन्य भोपल से बहुत कुछ सीखा इसलिए उसका भी शुक्रिया |




Dpiti Naval with DC Kullu , SDM Manali and Team LMS

6 comments:

  1. दीप्ति नवल जी के आकर्षक व्यक्तित्व के चुम्बक ने उस समय से ही आकर्षित किया है, जब अस्सी के दशक में हम कला फिल्में देखा करते थे! पहाड़ी सुबह की सी ताज़गी भरी लगती थी तब भी उन की मुस्कुराहट , और एकदम नैचुरल, चरित्र ही बना हुआ उनका अभिनय! हलांकि उस समय यह खबर नही थी कि वे इतने बड़े कैनवस वाली लड़की हैं। इस इतने बड़े व्यक्तित्व के लिए, हमेशा ही मेरे मन में सम्मान रहा है!
    हां सचमुच, यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम कुल्लू जैसी घाटी से सम्बन्ध रखते हैं, जहां की हवा, एनर्जी और मिस्टिक वाइब्रेशन, ऐसे उत्तम कलाकारों को आकर्षित करती रही है!!

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  2. सुनीता, आपकी लेखनी आपकी ताक़त है, आपके विचार नारी शक्ति का द्योतक है, आप हमारी लाहूल की शान है, मुझे व कल्पना को एक व्यक्तित्व को दूसरी विभूति से मिलाने का श्रे आपने दिया .. आपका बहुत शुक्रिया ! दीप्ति नवल हमारी मित्र अवश्य है किंतु वो एक अभिनेत्री के साथ साथ एक शानदार कवयित्री भी है .. फिर आपसे मिलना तो नियति में था हम तो मात्र ज़रिया है ..!!

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  3. Hi sunita your writeup brings those moments alive. Great to be reconnected again.

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